Facts About Shodashi Revealed

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Neighborhood feasts Enjoy a substantial function in these activities, the place devotees arrive alongside one another to share foods that often include things like regular dishes. Such foods celebrate both of those the spiritual and cultural elements of the Competition, enhancing communal harmony.

षट्कोणान्तःस्थितां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥६॥

सच्चिद्ब्रह्मस्वरूपां सकलगुणयुतां निर्गुणां निर्विकारां

Probably the most revered among the these is the 'Shodashi Mantra', that is said to grant both of those worldly pleasures and spiritual liberation.

सा नित्यं मामकीने हृदयसरसिजे वासमङ्गीकरोतु ॥१४॥

The Mahavidya Shodashi Mantra can also be a powerful Device for people seeking harmony in personalized interactions, creative inspiration, and direction in spiritual pursuits. Regular chanting fosters emotional therapeutic, improves intuition, and can help devotees accessibility greater knowledge.

यह शक्ति वास्तव में त्रिशक्ति स्वरूपा है। षोडशी त्रिपुर सुन्दरी साधना कितनी महान साधना है। इसके बारे में ‘वामकेश्वर तंत्र’ में लिखा है जो व्यक्ति यह साधना जिस मनोभाव से करता है, उसका वह मनोभाव पूर्ण होता है। काम की इच्छा रखने वाला व्यक्ति पूर्ण शक्ति प्राप्त करता है, धन की इच्छा रखने वाला पूर्ण धन प्राप्त करता है, विद्या की इच्छा रखने वाला विद्या प्राप्त करता है, यश की इच्छा रखने वाला यश प्राप्त करता है, पुत्र की इच्छा रखने वाला पुत्र प्राप्त करता है, कन्या श्रेष्ठ पति को प्राप्त करती है, इसकी साधना से मूर्ख भी ज्ञान प्राप्त करता है, हीन भी गति प्राप्त करता है।

तरुणेन्दुनिभां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥२॥

The more info Shodashi Mantra is really a 28 letter Mantra and therefore, it is among the simplest and least difficult Mantras so that you can recite, remember and chant.

हन्तुं दानव-सङ्घमाहव भुवि स्वेच्छा समाकल्पितैः

यह देवी अत्यंत सुन्दर रूप वाली सोलह वर्षीय युवती के रूप में विद्यमान हैं। जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा पृथ्वी) में सर्वाधिक सुन्दर, मनोहर, चिर यौवन वाली हैं। जो आज भी यौवनावस्था धारण किये हुए है, तथा सोलह कला से पूर्ण सम्पन्न है। सोलह अंक जोकि पूर्णतः का प्रतीक है। सोलह की संख्या में प्रत्येक तत्व पूर्ण माना जाता हैं।

The essence of these functions lies in the unity and shared devotion they encourage, transcending personal worship to produce a collective spiritual environment.

इति द्वादशभी श्लोकैः स्तवनं सर्वसिद्धिकृत् ।

पञ्चब्रह्ममयीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥५॥

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